..एहसास..
।। अपार है, विशाल है, बूँद बूँद में रिस कर तेरी यादों से बना मेरा सारा संसार है, असीमित है जीवन धारा, गहरा है ये जीवन सारा, मगर इन सब से कही गहरा है ये प्यार तुम्हारा…।।
।। उदास हो बैठी है ये दीवारें जिनमें ख़ुद को कैद किये बैठा हूँ, ना दरवाज़े है, ना कोई झरोखा, साँसों की उल्ज़न में उलझे जिस्म में बस ज़िन्दगी बटोरे बैठा हूँ, जला रहा हूँ तिनकों सा हर एक ख़्वाब बारी बारी, मिटा रहा हूँ ये यादें सारी, दो बूंदे छोड़ रहा हूँ आंखों में तेरे ख्वाबों की, जिससे ये रिश्ता भी ना टूटे तुझसे और ये ज़िन्दगी भी चलती रहे…।।
।। इबादत हो चली हैं ये मोहब्बत तेरी इस दिल की, रब भी तू और रूहानियत भी, केसरिया था लिबाज़ मेरी रूह का, न जाने कब मोह लगा बैठा तेरे इस रंग का, रंगो की फेर बदल में उलझती इस भीड़ में बेरंग है ये इबादत अपनी, बेमोल हूँ मैं सफ़ेद कागज़ सा, रंगरेज है, अनमोल है तू किसी स्याही के प्याले सा…।।
…विजय शेखर सिंह
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